
२ असोज, काठमाडौं । मातृभूमि है पुकारती !
मातृभूमि है पुकारती, तू सो रहा जवान हैं !
देश के सपुत, जाग होरहा बिहान है !! -२
देश में है त्राही-त्राही, सुनरहा है तू पडा !
दीन कि कराह आह, सुनरहा है तू पडा !! -२
देश मे शोषन-दमन, उठरहा तूफान है !
देश के सपुत, जाग होरहा बिहान है !! -२
मातृभूमि है पुकारती ……………..!!
कौन है जो, दौड-दौड गाँव-गाँव जाएगा !
यिन भ्रष्ट शासकों के चङगुल से देशको बचाएगा !!
तेरे बल पे अब भी देख, देशको गुमान है !
देश के सपूत, जाग होरहा बिहान है !! -२
मातृभूमि है पुकारती …………………!!
करवटें बदल नहि, तू अब तो आँखे खोल दे !
तू निकल और एक बार, जय क्रान्ति बोल दे !!
तेरे दम से यह जमीन और आसमान है !
देश के सपूत, जाग होरहा बिहान है !! -२
मातृभूमि है पुकारती ………………..!!
मुक्ति पथ कि मुसिबतों से कब रुकी जवानीयाँ ?
क्रुर शासकों कि डर से, कब झुकी जवानीयाँ ??
उठ कदम बढा कि, तेरी सांस में तूफान है !
देश के सपूत जाग, होरगा बिहान है !! -२
मातृभूमि है पुकारती ………………. !! -२
श्रीमती नगीना कुमारी झा
राष्ट्रिय अध्यक्ष
जनतान्त्रिक महिला संगठन
सचिवालय सदस्य
राष्ट्रिय जनतान्त्रिक गठबन्धन
एवं
#राष्ट्रबचाउअभियान
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